11-4-1962 बुधवार

हम आप सबको साथ लेकर मिलता है! किसी को अकेला नही मिलता। यह करने मे हमारा क्या उद्येश है! यहाँ आकर आप को 3/4 साल हुवे। हम को आनेवाले भक्तो के साथ बातचित करते आपने देखा है इससे आप क्या सीखा! यहाँ सदगुरू का तख्त होने के कारण हरएक भक्त उनके दुख का कथन दिलखुलास यहाँ करता है! वह सुनकर अपने से भी अन्य लोग कितने दुखी है और मेरे जैसा दुखी कोअी नही,यह अपनी भावना कितनी गलत है यह बात अपने ध्यानमें आयेगी! यहाँ आकर तुमने दूसरे की जिंदगी पढना चाहिये! घर मे बच्चा जनम को आया तब हम कहते है की यह बच्चा एक साल का हुआ अब उनका उष्टावन करना है! वह दो साल का हुवा, तीन साल का हुआ ऐसे हम गिनते  है!

आजतक कुटुंब के हर एक आदमी ईश्वर की सेवा करता है,उपासना चली है वह उपासना कितनी बडी है! कितनी साल की वह उपासना हुअी।वह उपासना किस के लिए करते है! तुम्है तो ना संन्यास लेना है ना हम देएंगे! दुनिया जो सुख उठाती है वह सुख अपने भक्त को मिले ऐसी मेरी तमन्ना है! घर मे मेहमान आये तो पानी की तोटीसे 4 कप पानी चाय के लिए लाते है! दूसरे वख्त तोटी का पानी पूजा के लिये, खाना पकाने के लिये लिया जाता है! माने हरएक वख्त निश्चित संकल्प से पानी लिया जाता है!अब मै आप को पूछना चाहता हूं की आजतक की उपासना किसी निश्चित संकल्प से किअी थी क्या? तोटी का पानी टपकता रहा! बेफजूल जाता है और जमिन गिल्ली कर रहा है!कहाँ-कहाँ उस पानी से अनाज आता है और उस को आप सुख कहते है! सुख चाहिये लेकिन किस तरह का सुख चाहिये!

आज तक सुख की अपेक्षा का संकल्प नही किया। जो अपेक्षा करता है वह अपेक्षा की पूर्ती के लीये कुछ नही करताँ! लेकिन संकल्प करनेवाला हातपाँव हिलाता है! जिंदगी मे सुख ना मिलने का कारण जन्म-विकृती है ऐसा उसी बाबाने बतलाया और सब भक्त घबरा गये! मै उसी विकृती की सुकृती करने के लिए आया हूँ! हर आदमी मजबूरी से दुख उठाता है यह देखकर उस दुखका  विमोचन करनेके लिए आया हूँ! कर्म विमोचन चालू है! कोअी नमस्कार करता है और कोअी नामस्मरण करता है! आखिर मे आप क्या चाहते है! जप का सुख चाहते है या प्रपंच मे अपेक्षा का सुख चहाते है! गतजन्म मे जो पाप घडा उसका विमोचन चालू है! उस विमोचन का सुख, परमात्मा का सुख,नामस्मरण का सुख या बालबच्चे को सुख देना चाहते है! “माझ्या भावी जीवनात” इस का अर्थ क्या है!

नामस्मरण करना यह ठीक है लेकिन व्यवहार मे पैसा नही मिलेगा तो विद्यार्जन नही होगा! आरोग्य नही रहेगा और अशांतता बढ जायगी! जन्मजन्मांतर मे घडा हुआ पाप से हम ने तुम को छुडाया है! आखिर पाप याने क्या और पुण्य याने क्या! चोरी कर के अपना गुजराना चलानेवाला चोर रात को बाबा को नमस्कार करके प्रार्थना करता है की आज के दिन बहोत पैसा मिले! चोरी करना उनका धर्म है!आप उस को पापी कहेंगे क्या? सुबह उठते ही ब्राम्हण शंकरजी के मंदीर जाता है और खाटीक बकरा काटने लगता है!इसमे से पापी कौन और पुण्यात्मा कौन? हर एक अपने धर्म के अनुसार चल रहा है! और इसलीए कोई भी पापी नही है! लेकिन एक बात ध्यानमे रखनी चाहिये की दूसरे जगह पूजा करने के लिये जाना है इसलिये 11 अवर्तन के बदले 5 आवर्तन मे ही पूजा समाप्त किया तो वह पाप है! मुसलमान हलाल खाता है खटका खाता नही यह जानते हुवे भी खाटीक ने हलाल नही दिया तो यह पाप है!

आप भावी जीवन मे क्यो माँगते हो!हर एक सत्पुरूष यही कहते आया की आज अच्छा करो और उसका फायदा अगले जनम मे मिलेगा!मै कहता हूँ अगले जनम मे राजा करने से हमे मतलब नही है! आज सूखी रोटी से मर रहा हूँ! अगले जनम का वायदा मत करो! आज तक हर एक शास्त्र यहि कहता आया की अगला जनम अच्छा मिलेगा! जिस को ताकद नही उसका यह लंगड़ा समर्थन है! हम शर्थ लढानेवाले है, जिद्दी है! मैने परवर दिगार से कहाँ की मै मुँहसे तेरा नामस्मरण करता हूँ! आँखसे देखता हूँ! कानो से सुनता हूँ! तुझे देखते ही मै बेहोश होता हूँ! जो भी कुछ देना चाहता है वह आज दे!अगले जनम का वायदा मत कर!लेकिन यह कब होगा “पुनश्च तशी कर्मे न घडतील तर”!

पिछले जनम से तोटी का पानी टपकता है। वह छोड दिया अलग अलग बर्तन मे भर के नहि रखा! मै हुँ इसलीये देव और दैव है। इसलीये मै ऐसा ही आज तक की उपासना हुवी! उपासना का ज्ञान नही हुवा और संकल्प नहि किया! आज घर मे पिता को कोन सी जुम्मेदारी उठानी पडती है, किस बातसे वो परेशान है। उसका पता घर के बेटे को और बेटी को नही है! घरमें 5 आदमी और कुटुंब प्रमुख की 10 अपेक्षा होती है! कुटुंब प्रमुख संकल्प कर के सेवा करता है और अन्य कुटुंब के आदमी सिर्फ सेवा करते ह।उस सेवा के पिछे संकल्प नही! अकेला आदमी कितना करे!हरएक ने निश्चित संकल्प करके अपना-अपना हिस्सा उठाया तो एक पर बोजा नही पडेगा और हर एक ने निश्चित संकल्प से की हुअी सेवा अपेक्षा की पूर्तता क रने के लिये समर्थ होगी! कुल संकल्प चार है!

1)अर्थ.
2)विद्या.
3)आरोग्य.
4)शांतता.

हरएक ने एक ही संकल्प के पीछे अपनी ताकद लगायी तो उनका मन स्थिर होगा और वह मन बाबा के पास आयेगा! पीछले जनम मे खुदाने तुमको किस बातका आशिर्वाद दिया वह भी बात मालूम होगी! मान लो घर का बच्चा अर्थ प्राप्ती के लिए संकल्प छोड रहा है और अर्थ प्राप्ती ठीक होने लगी तो वही संकल्प सालभर उनके लीये निश्चित हुआ! संकल्प छाडने के बाद काम नही बनता यह मालुम हुवा तो आपस में बदली करेंगे! आज कुटुंबमें दुख है उस का भार अपने शक्तिनुसार उठायेंगे तो उससें बढकर समाज का दुख उठाने के लिए समर्थ बन जाओगे! हम आपके जिंदगी का सोना करने की तमन्ना रखते है और इसके लीये आप!